विजयादशमी पर जावद नगर में किया रावण का दहन पढ़े पूरी खबर..

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बुरी पराई की विजय का प्रतीक है दशहरा

जावद. विजय दशमी अर्थात दशहरा, असत्य पर सत्य और अधर्म में धर्म की विजय का प्रतीक पर्व, पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह वर्षा पर्व 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाता है। जावद में दशहरा पर्व की तैयारी जोरो शोरो की हुई। शहर का माहौल हर तरह से धार्मिक उल्लास और भक्ति के रंग में रंगा हुआ है। नगर के हर कोने में थियेटर और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। जावद नगर परिषद द्वारा 51 फीट स्टेलर रावण पुतले का भव्य दहन किया गया। इसके साथ रंगारंग कार्यक्रम में तारक मेहता के चश्मे के कलाकार मोनिका मिर्जा (बाबरी) के साथ मलखंभ ग्रुप डांस, भव्य वाली चंपा भुवा (चंचल पिपलौदिया) के साथ काम के चांद चांद लगाए गए हैं। साथ ही भव्य वैभवशाली दर्शक को मिली।

ऐतिहासिक पर्व के साक्षी

नगर पालिका अध्यक्ष सोनी माली ने बताया कि इस वर्ष भी विभिन्न प्रकार के दशहरा उत्सव समिति जावद द्वारा दशहरा उत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने नगरवासियों से अपील की है कि वे अपने परिवार, मित्रो, बच्चों के साथ दशहरा मैदान में इस पर्व के साक्षी बनें। नगर परिषद एसोसिएटेड जगजीवन दास शर्मा ने कहा कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं है बल्कि बुराई पर विजय का प्रतीक है जो हमारे जीवन में सत्य, सहसा, करुणा के मार्ग में उत्थान की प्रेरणा देता है।

 

इतिहासकारों और स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार

इतिहासकारों और स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार रावण दहन की परंपरा कई पूर्वी देशों से चली आ रही है। जो अब एक विराट उत्सव का रूप लेल है। उसे समय-समय पर रावण का पुतला बस और उत्पाद बनाया गया था। जिसे युवाओं ने सामूहिक रूप से तैयार किया था। अब यह परंपरा आधुनिक रूप में हर साल नए जोश और आस्था के साथ जुड़ती है।

सुरक्षा के पुख्ता उपकरण

नगर परिषद के अध्यक्ष सोनी माली ने बताया कि इस वर्ष पर्यावरण-विरोधी सामग्री बनाई गई है जिसमें प्रदूषण कम हो और उत्सव में स्वतंत्रता का संदेश दिया गया है। ग्रांड में भी ध्वनि और धुवे को नियंत्रित करने वाले इको फ्रेंडली तकनीक का प्रयोग किया गया। काउंसिल ने स्थानीय प्रशासन, पुलिस बल, फायर ब्रिगेड, पूरे कार्यक्रम स्थल पर मौजूद सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए।

शहर में उत्साह मोनाटोल अस

दशहरा पर्व शहर में लेकर आता है उत्साह जैसा माहौल। यहां फिल्म देखने को मिली हवेली में दीप जलाए गए और पितरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस प्रतिरक्षित क्षण का इंतजार कर रहे थे। भव्य के साथ भव्य रावण का पुतला धड़कती लपटों में जलकर बुराई पर अच्छाई की विजय की गूंज फैली।

अपने अंदर की बुराई को भी जलाएं

नगर परिषद के अध्यक्ष सोनीलाल माली ने कहा कि दशहरा केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि हमारे अंदर मौजूद नकारात्मक, असत्य, अहंकार के अंत का प्रतीक है। आइए हम सब मिल कर यह ले लें कि रावण के साथ अपने संकल्प की बुराइयों को भी जलाएं। समाज में प्रेम और न्याय की ज्योति का नमूना लें। शहर की जनता ने बड़ी सूची बनाकर रावण के दहन के साक्षी बने। हर साल की तरह इस साल भी दशहरा का पर्व केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता के प्रतीक के रूप में पूरे जावद की पहचान को दर्शाता है।

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