देश के बुनकर एवं शिल्पी ही असली इंजीनियर है। पढे पूरी खबर….

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देश के बुनकर एवं शिल्पी ही असली इंजीनियर है।

नीमच = लायन डेन गोमा बाई नेत्रालय के सामने चल रही “कारीगरी” राष्ट्रीय हस्तशिल्प प्रर्दशनी में कई राज्यों से आए शिल्पी एवं बुनकर अपने-अपने प्रदेश की खास हस्तकला लाए हैं एवं उचित दाम पर बिक्री कर रहे हैं खादी ग्रामोद्योग द्वारा विदेश छूट दी जा रही है लखनऊ का विश्व प्रसिद्ध चिकन वर्क मैं कुर्ते, प्लाजो, अनारकली भागलपुर की सिल्क साड़ी एवं खादी सिल्क का ड्रेस मटेरियल, चंदेरी एवं माहेश्वरी में आकर्षक दाबू, कलमकारी, बाग,अजराक,प्रिंट में साड़ी एवं सूट, बनारस की नक्काशीदार साड़ी एवं सूट, जयपुर के हेवी वर्क में कुर्ती,हो या खादी के शर्ट, कुर्ते पजामा, सहारनपुर के लकड़ी का फर्नीचर एवं होम डेकोरेटिव आयटम, बटिक प्रिंट मै सूट, कुर्ते, गाउन, दिल्ली एवं मुंबई की इमिटेशन ज्वेलरी, हैंडलूम की विशेष बेडशीट खुर्जा के चीनी मिट्टी के गमले एवं क्रॉकरी को काफी पसंद किया जा रहा है ।

बनारसी साड़ी एवं सूट हमेशा से दुनिया भर की महिलाओं की पहली पसंद रही है गंगा किनारे की यह बुनाई प्राचीन काल से भारत का गौरव रही है, यह साड़ी प्रायः सिल्क पर बनती है एक साड़ी बनाने के लिए 10,000 रेशम के कीड़ों को गर्म पानी में उबाला जाता है, तब कहीं एक बनारसी साड़ी तैयार होती है, इस अहिंसक साड़ी को बुनकरों द्वारा शुद्ध सूती धागों से बनाया जाता है, यह साड़ी जकाई लूम पर बनती है, इस साड़ी पर जटिल बुनाई वाले पैटर्न संभव होते हैं जिसमें 3000 से 5000 सुइयों को गड्ढे में लटकाया जाता है और पंच कार्ड में डिजाइन को पंच किया जाता है

आयोजक इंदौर के श्री निवास मिश्रा ने बताया कि देश के अनेक राज्यों से आए शिल्पकार यहां अपनी हस्तकला का प्रदर्शन कर रहे हैं यह प्रदर्शनी 23 दिसंबर तक चलेगी

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