नीमच। सरकार चाहे मध्य प्रदेश के लोगों को सुविधा देने के लाख दावे कर ले, लेकिन हकीकत ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जा सकती है। वहां आज भी लोगों की अंतिम यात्रा का रास्ता सुगम नहीं हो पाया है। ग्रामीण आज भी दुर्गम रास्तों से होकर गुजरने को मजबूर हैं। हद तो तब हो जाती है जब मौत के बाद भी अंतिम यात्रा को कीचड़, बहते बरसाती नालों से होकर गुजरना पड़ता है।
उल्लेखनीय है कि जिले के रामपुरा तहसील के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत लसूडिया ईस्तमुरार के ग्राम बड़ोदिया बुजुर्ग में ग्रामीणों को शवयात्रा कीचड़ भरे दुर्गम मार्ग से बरसाती नाले के बहते पानी से होकर निकालना पड़ रही है। जिसमें किसी के गिरने तो किसी के चोटिल होने का खतरा बना रहता है।
बरसाती नाले में यदि तेज बहाव है तो उसे पार करना खतरे से खाली नहीं होता। ऐसे में अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। शनिवार शाम को इसी तरह का एक नजारा देखने को मिला। ग्राम में 80 वर्षीय किशन लाल पुत्र नानूराम गुर्जर नामक बुजुर्ग की मौत हो गई।
मौत दोपहर लगभग दो बजे के आसपास हुई थी। इसी दौरान तेज वर्षा हो रही थी। इसके चलते बुजुर्ग के शव यात्रा लगभग दो से तीन घंटे तक रोकना पड़ी, क्योंकि मुक्तिधाम के रास्ते में पड़ने वाले बरसाती नाले में काफी पानी बह रहा था। जब पानी उतरा तब शवयात्रा निकाली गई।
उस पर भी मार्ग में कीचड़ और फिसलन के कारण शवयात्रा ले जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों का कहना है कि सालों से जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को अवगत करवाते आ रहे हैं, लेकिन समय के साथ अधिकारी और जनप्रतिनिधि जरूर बदल गए पर ग्राम और मुक्तिधाम जाने के रास्ते के हालात आज तक नहीं बदले।